‘जर्सी’ फिल्म समीक्षा: शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) लगभग 3 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी करते दिखे. उनकी मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘जर्सी’ सिनेमाघरों में आज रिलीज हो चुकी है. वैसे तो ये फिल्म बहुत पहले ही रिलीज हो जाती, लेकिन कोविड महामारी की वजह से इसकी रिलीज टलती चली गई. शाहिद कपूर की आखिरी फिल्म ‘कबीर सिंह’ साल 2019 में रिलीज हुई थी, इस फिल्म के सुपरहिट होने के बाद से शाहिद कपूर पर काफी प्रेशर बढ़ गया होगा, क्योंकि ‘कबीर सिंह’ के बाद से शाहिद कपूर को एक अलग पहचान मिली और इसे बरकार रखना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन ‘जर्सी’ के जरिए शाहिद का मैसेज सभी के पास पहुंच गया है कि अब वह रुकने वाले नहीं है.

जिस तरह ‘कबीर सिंह’ साउथ की फिल्म की रीमेक थी, ठीक उसी तरह ‘जर्सी’ भी है… पति-पत्नी के बीच के रिश्ते, बच्चे के साथ इमोशनल जुड़ाव, एक क्रिकेटर और कोच के बीच की बॉन्डिंग को दर्शाता शाहिद कपूर की फिल्म ‘जर्सी’ दर्शकों के उम्मीद पर खरे उतरती नजर आती है. शायद यह फिल्म शाहिद कपूर की एक शानदार पारी की तरह है, जो शायद उनके लिए यादगार भी बन जाए.

फिल्म में शाहिद कपूर एक 36 साल के पूर्व रणजी क्रिकेटर ‘अर्जुन तलवार’ की भूमिका में हैं और मृणाल ठाकुर उनकी पत्नी ‘विद्या’ का रोल करती नजर आ रही हैं. इन दोनों का एक छोटा और प्यार सा लड़का है, जिसकी भूमिका रोनित कामरा ने निभाई है. इसके साथ ही फिल्म में एक अहम रोल प्ले करते नजर आ रहे हैं शाहिद कपूर के पिता पंकज कपूर, जो फिल्म में शाहिद के कोच के किरदार में हैं.

फिल्म में अर्जुन किसी वजहों से अचानक दूरी बना लेता है और किसी झूठे केस में फंसने के बाद उसकी नौकरी भी चली जाती है. ऐसे में घर की पूरी जिम्मेदारी अर्जुन की पत्नी विद्या पर आ जाती है, हालांकि विद्या कई बार अर्जुन को नौकरी के लिए कहती है, लेकिन अर्जुन पूरी तरह से टूटा नंजर आता है, वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता, वह खुद को लाचार समझने लगता है. तबी फिल्म की कहानी में एक ट्विस्ट आता है, जब अर्जुन का बेटा एक जर्सी के लिए जिद्द करता है, लेकिन अर्जुन के पास उतने पैसे नहीं होते कि वह अपने बेटे को एक जर्सी तक खरीद के दे सके.

अपने बेटे की जिद्द को पूरा करने के लिए ही अर्जुन 10 साल बाद फिर से बल्ला पकड़ने का ठान लेता है और 36 साल का अर्जुन क्रिकेट के मैदान में उतर जाता है. उसके बाद क्या होता है, ये तो आपको पूरी फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा. वैसे अगर आप स्पोर्ट्स प्रेमी हैं और सोच रहे हैं कि यह फिल्म क्रिकेट पर हैं, तो शायद आपको निराशा हाथ लगेगी, क्योंकि यह फिल्म क्रिकेट से ज्यादा एक इंसान की जिंदगी से जुड़ी कहानी है, जिसमें प्यार है, ड्रामा है और सबसे ज्यादा इमोशन है.

इसमें कोई शक नहीं कि फिल्म की कहानी जितनी दमदार है, उतनी ही दमदार है फिल्म के सारे कास्ट की एक्टिंग. शाहिद कपूर की अभिनय में साफतौर से नजर आ रहा है कि उन्होंने इस फिल्म के लिए कितनी मेहनत की है. ‘शानदार’ के बाद ये दूसरा मौका है जब बाप-बेटे की जोड़ी यानी शाहिद और पंकज कपूर की जोड़ी बड़े पर्दे पर साथ नजर आ रही है. दोनों की दमदार अभिनय ने पूरी फिल्म को बांधे रखा है.

अब बात करें फिल्म के डायरेक्शन की तो, गौतम तिन्ननुरी ने ऑरिजनल फिल्म के बाद इसके रीमेक की भी जिम्मेदारी ली और इसमें कोई दो राय नहीं कि उन्होंने रीमेक को ऑरिजनल से ज्यादा बेहतर तरीके से प्रजेंट किया है, जहां कहानी का हर भाव साफ-साफ समझ में आता है. उन्होंने बहुत ही अच्छे तरीके से पूरी फिल्म को इमोशन के साथ बांधकर रखा है. साथ ही, बात करें फिल्म की संगीत की तो, फिल्म में कुल चार गाने दिखाए हैं.

फिल्म के चारों गाने आपकी कानों को सुकून देंगे. अच्छे बात ये है कि ये गाने फिल्म की कहानी में कोई ब्रेक नहीं देते, बल्कि ये गाने कहानी के साथ-साथ चलते हैं, जो फिल्म की कंटीन्यूटी को बरकरार रखते हैं. अब सवाल ये आता है कि इस फिल्म को देखें या न देखें, तो मैं ये कहना चाहूंगा कि फिल्म की कहानी अच्छी है, सबसे ज्यादा जो सुकून की बात है वो ये है कि आप पूरे परिवार के साथ इसे देख सकते हैं और मेरी नजर में फिल्म पैसा वसूल है, इसलिए मेरी नजर में यह फिल्म एक बार देखने योग्य है.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

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