फिल्म को एक ड्राइव की तरह होना चाहिए. किसी एक बिंदु से शुरू, कई उतार-चढ़ाव-घुमाव-पड़ाव से गुजरते हुए अपने निर्दिष्ट तक पहुंचने की ड्राइव. वो लॉन्ग भी हो सकती है और शॉर्ट भी बस एक शर्त होनी चाहिए कि पूरे रास्ते में किसी तरह का कोई एक्सीडेंट न हो. यदि ये हासिल कर लिया तो फिल्म को दर्शक पसंद करेंगे ही करेंगे. नेटफ्लिक्स पर रिलीज मलयालम भाषा की थ्रिलर फिल्म “नाईट ड्राइव” वैसे तो एक रात की कहानी है लेकिन फिल्म जैसे जैसे अपने अंत की तरफ बढ़ने लगती है एक एक्सीडेंट कर ही बैठती है. इस एक्सीडेंट से बचा जाता तो फिल्म की विश्वसनीयता बढ़ जाती, लेकिन शायद व्यावसायिक मजबूरियां रहीं होंगी वर्ना कोई मलयालम फिल्म बेतुकी तो नहीं होती. अपनी विसंगतियों और खामियों के बावजूद, नाईट ड्राइव एक अच्छी थ्रिलर मूवी है जिसमें काफी देर तक अनिश्चितता की वजह से आप फिल्म देखने से खुद को रोक नहीं पाते। अंत को छोड़ दें तो फिल्म बेहतरीन मानी जा सकती है और इसे देखा भी जा सकता है.
जॉर्जी (रोशन मैथ्यू) एक उबर ड्राइवर है जिसकी गर्लफ्रेंड रिया (एना बेन) एक चैनल में न्यूज़ एंकर है. एक रात वो ड्राइव पर निकलते हैं और उनकी कार के सामने आ जाता है एक घायल आदमी. दोनों इस आदमी को लेकर अस्पताल जाते हैं लेकिन उसका सोने के बिस्किट्स से भरा बैग गाड़ी में रह जाता है. जैसे जैसे रात गुज़रती है, इन दोनों को पता चलता है कि वो घायल आदमी एक मिनिस्टर का आदमी है और बैग में जो सोना है वो मिनिस्टर का है. सोने की स्मगलिंग का ये केस कुछ दिन पहले रिया ने ही अपने चैनल पर दिखाया था जिसकी वजह से मिनिस्टर को जेल होने वाली थी लेकिन अब सोना रिया और जॉर्जी के पास होने से मामला उल्टा पड़ जाता है. क्या ये दोनों मिनिस्टर के चंगुल से बच पाते हैं, या पुलिस इन्हीं को दोषी मानकर फंसा देती है, या फिर मिनिस्टर को जेल होती है और भ्रष्ट पुलिसवाले हाथ मलते रह जाते हैं. फिल्म एक रात की कहानी है.
फिल्म में कुछ छोटे छोटे ऑब्सेर्वशन्स हैं जिनकी वजह से स्क्रिप्ट आपको पकड़ के रखती है. जॉर्जी को दुबई जाना है ताकि वो पैसा कमा कर अपनी गर्लफ्रेंड से शादी कर सके. उबर चलते समय वो एक कस्टमर के कहने पर एक बेकरी में केक लेने जाता है और कस्टमर उसे अपना डेबिट कार्ड दे देता है. जॉर्जी कहता है कि मैं भाग गया तो. कस्टमर का जवाब भी उतना ही मज़ेदार – शकल तो है तुम्हारी चोरों वाली मगर कार्ड में ज़्यादा पैसे नहीं हैं. एक सीन में पुलिस वाले को मिनिस्टर की लोकेशन देने के लिए वो व्हाट्स एप पर लाइव लोकेशन शेयर फीचर का इस्तेमाल करता है. केक पर हैप्पी बर्थडे प्रिया लिखा होता है तो उसे अपनी गर्लफ्रेंड रिया को टिका देता है, प्रिया की स्पेलिंग बदल कर रिया दिखा कर. फिल्म करीब करीब 90% तक बांधे रखती है लेकिन फिर जहाँ ये ड्राइव कच्चे में चली जाती है वो है जॉर्जी की बैकस्टोरी जिसमें उसने रिया की वजह से एक स्कूल टीचर का खून कर दिया और उसे 7 साल की जेल की सजा भी हुई. ये राज़ खुलने के बाद अचानक सीधा साधा जॉर्जी अचानक ही मिनिस्टर को और पुलिस को बेवकूफ बनाने की स्कीम बनाने लगता है और लगभग सफल भी हो जाता है. चेक पोस्ट पर पुलिस की चेकिंग से घबराने वाले जॉर्जी अचानक ही खूंखार गुंडों की धुलाई करने लगता है. ये मामला फिल्म के लिए ज़रूरी तो था लेकिन जितनी असलियत फिल्म में तब तक लग रही थी, वो अचानक ही एक कमर्शियल फिल्म की मूर्खता में बदल गयी. एक सफल सफर का अंत एक्सीडेंट में हो गया.
रोशन मैथ्यू के अभिनय के बजाये उनके चेहरे की तारीफ करनी होगी जो सिर्फ आँखों के भाव के माध्यम से कभी एक दम दब्बू डरपोक लगने लगते हैं और कभी अत्यंत चतुर और लड़ाकू इंसान. कुछ समय पहले रिलीज़ फिल्म कुरुथी में उनका अभिनय बेहतरीन था और इस फिल्म में उन्होंने काफी अच्छा काम किया है. केक शॉप पर अपनी ओर से वो अपनी सवारी की बेटी को चॉकलेट देता है, वो सीन बड़ा ही लाजवाब है. हालाँकि उनके किरदार में उनकी हिंसक प्रवृत्ति समझना ज़रा मुश्किल है. उनका कातिल होना ही समझ नहीं आता. उनका साथ दिया है एना बेन ने जो कि अपेक्षाकृत नयी हीरोइन हैं इसलिए कुछ सीन्स में उनके चेहरे पर सही भाव नहीं आ पाए हैं. जब रोशन पुलिस को झूठ बोलता है कि गाड़ी रिया नहीं वो चला रहे थे तो रिया के चेहरे के भाव बिलकुल सही नहीं थे. एक ईमानदार पुलिसवाले के रोल में इंद्रजीत सुकुमारन ने काफी प्रभावित किया है हालाँकि उनके किरदार का जस्टिफिकेशन बहुत ही कमज़ोर और नाटकीय लगता है. बाकी किरदार साधारण हैं, किसी ने कुछ खास नहीं किया है और न ही उनका अभिनय कुछ अलग है.
फिल्म लिखी अभिषेक पिल्लई ने है और आखिरी की गड़बड़ी को छोड़ दें तो फिल्म में थ्रिल जबरदस्त है और कहानी किस करवट बैठेगी ये दर्शक को पूरा समय सोचते रहना पड़ता है. लेखक के लिए ये हासिल करना बड़ी बात है. फिल्म के निर्देशक वैशाख की ये पहली थ्रिलर है, इसके पहले वो फॅमिली ड्रामा फिल्में बनाते थे. उन्होंने एडिटर सुनील एस पिल्लई के साथ मिल कर एक अच्छी फिल्म बनायीं है. अश्लीलता की जगह नहीं थी. हीरो एक उबर ड्राइवर होने के बावजूद फालतू गालियां नहीं बकता रहता. ये कुछ अच्छी बातें हैं. फिल्म अच्छी है देखी जा सकती है.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
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पहले प्रकाशित : 14 अप्रैल, 2022, 12:05 अपराह्न IST
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