अटैक मूवी समीक्षा: जॉन अब्रहम (John Abraham), रकुल प्रीत सिंह (Rakul Preet Singh) और जैकलीन फर्नांडीज (Jacqueline Fernandez) की फिल्‍म ‘अटैक’ (Attack) स‍िनेमाघरों में र‍िलीज हो चुकी है. प‍िछले कुछ समय में जॉन अब्राहम ने देशभक्ति-नेशनल सिक्‍योर‍िटी के फ्लेवर से सजी एक्‍शन-पैक्‍ड फिल्‍में खूब बनाई हैं. लेकिन इस बार जबरदस्‍त एक्‍शन वाली साई-फाई (साइंस फ‍िक्‍शन) फिल्‍म ‘अटैक’ लेकर आए हैं, ज‍िसमें देशभक्ति भी है और नेशनल सिक्‍योर‍िटी का मामला भी, लेकिन बचाने न‍िकला है एक ‘सुपर-सोल्‍जर’. अब ये सुपर सोल्‍जर आपको स‍िनेमाघरों तक खींच सकता है या नहीं, इसका फैसला आप ये र‍िव्‍यू पढ़कर कर सकते हैं.

कहानी: ‘अटैक’ की कहानी सेना के एक स‍िपाही अर्जुन शेरग‍िल (जॉन अब्राहम) की है, जो गजब का सोल्‍जर है, लेकिन एयरपोर्ट पर हुए एक आतंकी हमले में वो बुरी तरह घायल होता है और उनकी पूरी ज‍िंदगी बदल जाती है. अर्जुन व्‍हील चेयर पर आ जाता है और उसका पूरा शरीर पैरलाइज्‍ड हो जाता है. यहीं से शुरू होती है, उसके ‘सुपर सोल्‍जर’ बनने की कहानी. फिल्‍म में जैकलीन ‘आइशा’ बनी हैं, जो जॉन अब्राहम का लव-इंट्रैस्‍ट हैं. रकुल प्रीत स‍िंह एक आर्टिफिश‍ियल इंटेलीजेंस एक्‍सपर्ट हैं और उन्‍हीं के प्रोजेक्‍ट का हिस्‍सा बन जॉन अब्राहम सुपरसोल्‍जर बनता है. बस, अब कहानी के बारे में इतना ही, बाकी ज्‍यादा जानने के ल‍िए स‍िनेमाघरों में जाना होगा.

अटैक की कहानी पहले सीन से ही एक अटैक से शुरू होती है. हो सकता है शुरुआत के कुछ म‍िनट तक आपको समझना भी मुश्किल हो कि आखिर ये क्‍या हो रहा है. जब तक आप इस अटैक को समझेंगे जॉन अब्राहम स्‍क्रीन पर लवरबॉय बने नजर आना शुरू हो जाएंगे. लव-स्‍टोरी शुरू होती है और फ‍िर Kiss होता है, लेकिन इस फ‍िल्‍म में Kiss के साथ ही लव स्‍टोरी शुरू होती है… ये सब सुनकर कुछ अटपटा लगा ? फ‍िल्‍म का फर्स्‍ट हाफ भी ऐसा ही है, कब कौनसा इमोशन समाने आ जाए, पता नहीं. दरअसल फर्स्‍ट हाफ में आपको कहानी नहीं, स‍िर्फ इवेंट्स नजर आएंगे और यही वजह है कि आप कहीं भी इमोशनली कनेक्‍ट महसूस नहीं कर पाएंगे.

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जैकलीन और जॉन 6 साल बाद साथ नजर आए हैं.

वहीं सेकंड हाफ फिर भी तुलनात्‍मक रूप से थोड़ा मजेदार है,  क्‍योंकि इसमें आपको जबरदस्‍त एक्‍शन देखने को म‍िलेगा. वो भी साइंस के तड़के के साथ. जॉन के अपनी हीरोइनों के साथ उतने मजेदार डायलॉग्‍स नहीं हैं, ज‍ितने उनकी आर्टिफिश्‍यल इंटेल‍िजेंस पार्टनर ‘ईरा’ के साथ. सेकंड हाफ में जहां, एक्‍शन काफी मजेदार है, वहीं कहानी का लॉज‍िक थोड़े टाइम की लीव पर चला जाता है. ये एक साइंस फिक्‍शन फिल्‍म हैं, तो न साइंस के इस्‍तेमाल से ‘सुपर सोल्‍जर’ तैयार करने में द‍िक्‍कत है और न इस फिक्‍शन में, द‍िक्‍कत है इन सब को जोड़कर एक कहानी बनाने में. इस गड़बड़ का ठीकरा न‍िर्देशक के तौर पर पहली बार काम कर रहे लक्ष्‍य राज आनंद पर ही फोड़ा जाएगा. इंडिया का पहला सुपर‍ सोल्‍जर वो भी जॉन अब्राहम… ये आइड‍िया ही अपने आप में एक्‍साइट करने के लिए काफी है. लेकिन इतने सारे अच्‍छे एलीमेंट के बात भी कहानी से जो कनेक्‍शन दर्शकों का बनना चाहिए वह नहीं बनेगा. ‘आइरन मैन’ और ‘म‍िशन इंपॉस‍िबल’ की इस ख‍िचड़ी में आपको नमक कम ही लगेगा.

‘अटैक’ में हीरो को ‘सुपर सोल्‍जर’ द‍िखाने के लिए हमने पार्लियामेंट में आतंकी हमला द‍िखाया गया है. लेकिन ये सब द‍िखाने के चलते हमाने अपने देश के स‍िक्‍योर‍िटी स‍िस्‍टम को ‘कॉमेडी सर्कस’ साबित कर द‍िया है. लाखों टन असला-बारूद-बंदूकें लेकर 100 से ज्‍यादा आतंकी देश की संसद में घुस जाते हैं और वो भी तब जब पार्लियामेंट सेशन चल रहा है. इतना ही नहीं, देश के प्रधानमंत्री भी यहां आ जाते हैं. आप अपने ‘म‍िशन’ को ‘इंपोस‍िबल’ द‍िखाने के चक्‍कर में लॉज‍िक की ऐसी-तेसी कर देते हैं. समझने वाली बात ये है कि साउथ इंडियन फिल्‍मों की आंधी जो इस समय देश में आई हुई है, उसमें अगर आप बने रहना चाहते हैं तो ऐसी ‘लॉज‍िकलेस’ फिल्‍मों से ये काम कैसे होगा. अविश्‍वस्‍नीय एक्‍शन राजामौली की ‘आरआरआर’ में भी है लेकिन उसे कहानी के साथ परोसा गया है और यही वजह है कि उसे खूब पसंद किया जा रहा है.

परफॉर्मेंस की बात करें तो फिल्‍म जॉन अब्राहम की है और वो इस फिल्‍म में खूब जमे हैं. जॉन का एक्‍शन कहीं भी फेक नहीं लगता. इतने सारे आतंकियों को मारता ये सोल्‍जर आपको जस्‍ट‍िफाई लगेगा लेकिन बस… और कुछ नहीं. जैकलीन, जैसा मैंने पहले भी कहा, फ‍िल्‍म में लव-इंट्रेस्‍ट हैं. रकुल अपने रोल में अच्‍छी लगी हैं. प्रकाश राज की जॉन के साथ केम‍िस्‍ट्री, इन दोनों हीरोइनों से ज्‍यादा जमी है.

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रकुल प्रीत ‘अटैक’ में एक आर्टिफिश‍ियल इंटेलीजेंस एक्‍सपर्ट हैं

देख‍िए फिल्‍में दो तरह की दुनिया हमाने सामने रखती हैं. एक ऐसी, ज‍िसे देखकर आप कह उठते हैं, ‘अरे ये तो हमारे जैसे लोग हैं.’ आपकी अपनी सी लगने वाली दुनिया जो बेहद असल लगती है. दूसरा स‍िनेमा होता है, वो ज‍िसका आपकी असली ज‍िंदगी से कोई मतलब नहीं होता लेकिन ये कहानि‍यां आपकी कल्‍पनाओं के भी परे होती हैं और चौंका देती हैं. दरअसल ‘मास एंटरटेनर’ के नाम पर अक्‍सर ये दूसरे तरह की फिल्‍में ही बेची जाती हैं. एक ऐसी दुन‍िया द‍िखाती फिल्‍में, जो आप चाहते हैं सच हो पर आप जानते हैं सच है नहीं. लेकिन हम ऐसी ‘मास एंटरटेनर’ में चाहे सुपरकॉप द‍िखाएं, सुपर-भाई, सुपर-गुंडा या फिर सुपर सोल्‍जर… लॉज‍िक और इमोशनल कनेक्‍ट इन कहान‍ियों में भी बस्‍ते में बंद नहीं किया जा सकता. बस इसल‍िए जॉन अब्राहम के इस ‘अटैक’ को मेरी तरफ से 2.5 स्टार.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

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