अमेरिकन समाज में विवाहेतर सम्बन्ध बड़ी आम बात मानी जाती है. एक रात की मुलाकात को शारीरिक प्रेम में बदलने में कोई देरी नहीं होती, शादी नाम की संस्था में लम्बे समय तक विश्वास बनाये रखने के लिए न तो पति और न ही पत्नी किसी प्रकार की कोई विशेष मेहनत करते हुए नजर आते हैं. ऐसा नहीं है कि पूरा अमेरिका ऐसा ही है मगर दुर्भाग्य है कि मटेरिअलिस्टिक सोसाइटी के नाम पर वहां रिश्तों का इस्तेमाल और वस्तुओं को सहेज के रखने की नयी परंपरा को महत्त्व दिया जाता है. अपराध इतना आसान है क्योंकि बंदूकों की बिक्री पर कोई नियत्रण कानून नहीं है. जब आर्थिक असमानता इतनी फैली होती है तो जुर्म करने के नए बहाने मिल जाते हैं. दूसरी ओर सब कुछ आसानी से मिल भी जाता है तो लोग स्थायी और स्थिर रिश्तों में नहीं बल्कि पार्ट टाइम शारीरिक सुख में यकीन रखते हैं. बिना किसी से डरे. बिना किसी की परवाह किये. नैतिकता की कमी अमेरिकन फिल्मों में भी साफ़ नज़र आती है. बेवफाई या चीटिंग के कारण बहुत ही छोटे और बेकार किस्म के होते हैं. भुगतता वो है जो चीटिंग या बेवफाई नहीं करता.
नेटफ्लिक्स पर हाल ही में ‘अ वीकेंड अवे’ नाम की एक फिल्म रिलीज हुई है, जिसमें दो सहेलियां क्रोएशिआ में एक वीकेंड मनाने के लिए मिलती हैं, एक पार्टी में जाती हैं और फिर उनमें से एक गायब हो जाती है. पुलिस में शिकायत करने पर दूसरी सहेली को शक के आधार पर पुलिस गिरफ्तार कर लेती है. थोड़ी छानबीन करने पर मामला सामने आता है और असली मुजरिम पकड़ा जाता है. इस फिल्म में शुरू के 10 मिनिट में ही क्राइम हो जाता है और इस तरह की फिल्में देखने के शौक़ीन या क्राइम पेट्रोल के दर्शक भी बता सकते हैं कि असली मुजरिम कौन होगा लेकिन रफ़्तार से चलती इस फिल्म में भी साज़िश का खुलासा सबसे आखिर में होता है. यही खुलासा इस फिल्म की कमज़ोरी है. फिल्म साधारण है. दर्शकों को थोड़ी देर के बाद ऊब होने लगती है, और “क्राइम ऑफ़ पैशन” होने के बावजूद इसमें कोई सेक्स सीन नहीं है इसलिए दर्शक काफी ठगा हुआ महसूस कर सकते हैं.
लेटन मीस्टर फिल्म अ वीकेंड अवे में मुख्य भूमिका में हैं. अमेरिकन टीवी सीरियल ” गॉसिप गर्ल्स” में अपने रोल की वजह से काफी लोकप्रिय लेटन ने अच्छा अभिनय किया है. हालाँकि ये बात दर्शकों को खलती है कि इस तरह की फिल्मों में ये बात दर्शकों को समझ आ जाती है कि असल मुजरिम कौन है मगर हीरोइन को यह बात सब कुछ साफ़ साफ़ पता चलने में इतनी देर क्यों हो जाती है. क्रिस्टीना वोल्फ का रोल छोटा है लेकिन वो काफी ग्लैमरस लगी हैं और उन्हें स्क्रीन पर देखने में अच्छा लगता है. क्रोएशिया के टैक्सी ड्राइवर की भूमिका में ज़िआद बाकरी ने प्रभावित किया वहीँ रॉब की भूमिका में ल्यूक नॉरिस ने बिलकुल भी प्रभावित नहीं किया।
इस फिल्म को लिखा है साराह एल्डरसन जो कि उनके एक सफल उपन्यास “अ वीकेंड अवे” पर आधारित है. साराह की ज़िन्दगी की एक खास बात है कि 2010 में उन्होंने अपने पति के साथ नौकरी छोड़ कर, अपनी 3 साल की बेटी के साथ दुनिया घूमने का निर्णय लिया. दरअसल साराह कोई ऐसी जगह खोज रही थीं जहाँ वे अपने परिवार को शहर की आपाधापी से दूर बसा सकें. साराह कभी कभी अपनी सहेलियों के साथ वीकेंड की छुट्टी मनाने दूसरे देश चली जाया करती थीं. इन्ही छुट्टियों की यात्रा को ध्यान में रख कर साराह ने इस उपन्यास की रचना की थी. उपन्यास की घटनाएं उनके दिमाग की उपज हैं लेकिन जब इसे फिल्म के रूप में देखा गया तो कहानी कमज़ोर लगने लगी. किसी दूसरे देश में आपके सहयात्री का अचानक गायब हो जाना आपकी पूरी ज़िन्दगी को उल्टपुल्टा कर सकता है लेकिन फिल्म में इसकी तीव्रता महसूस ही नहीं हुई. भाषा न जानना, पुलिस और कानून न समझना, किसी सर्वथा अनजान शहर और देश में किसी की तलाश करना, किसी अनजान शख्स पर भरोसा करना ये सब उतना आसान नहीं है जितना दिखाया गया है. अवधि कम रखने के चक्कर में हीरोइन का असहाय होने के दृश्यों को प्रमुखता से फिल्माया ही नहीं गया है.
‘अ वीकेंड अवे’ की कहानी में ही कोई सम्भावना नजर नहीं आ रही थी. इसलिए फिल्म को लेकर किसी प्रकार की कोई उम्मीद करना भी बेकार ही है. टाइम पास के हिसाब से फिल्म देखना हो तो देखिए लेकिन निराशा ही हाथ लगेगी.
डिटेल्ड रेटिंग
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पहले प्रकाशित : 11 मार्च, 2022, दोपहर 2:00 बजे IST