यूपी बोर्ड परिणाम 2019: कभी जिसे केवल 1.25 एकड़ बंजर जमीन देकर यह ताना दिया गया था कि उनके देवरों की कमाई से ही उनके बच्चे पल रहे हैं. आज वही संतोष देवी, उसी सवा एकड़ जमीन से सालाना 25 लाख रूपये कमा रही हैं. यह कहानी है, राजस्थान के सीकर जिले के बेरी गांव में शेखावती फार्म चलाने वाली, कृषि वैज्ञानिक की उपाधि से सम्मानित, संतोष देवी खेदड़ और उनके पति राम करण खेदड़ की.

राजस्थान के झुंझुनू जिले के कोलसिया गांव में जन्मी संतोष देवी के पिता दिल्ली पुलिस में थे. वे चाहते थे कि उनकी दोनों बेटियां भी दिल्ली में रहकर पढ़ें. लेकिन संतोष  का मन पढ़ाई में नहीं लगता था. उन्होंने किसी तरह पांचवी तक दिल्ली में पढ़ाई की, फिर उनका मन गांव की ओर ही भागने लगा. गांव वापस आते ही संतोष ने खेती के सारे गुर सीख लिए. 12 साल की होने तक संतोष को वह सब कुछ आता था, जो एक किसान को आना चाहिए.

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साल 1990 में 15 साल की संतोष का विवाह राम करण से और उनकी छोटी बहन की शादी राम करण के छोटे भाई से करा दी गई. रामकरण के संयुक्त परिवार में उनके बाकी दो भाई अच्छी नौकरियों में थे, इसलिए परिवार के 5 एकड़ खेत का काम वे और संतोष संभालने लगे. साल 2005 में संतोष के पति राम करण को होमगार्ड की नौकरी मिल गयी, लेकिन तनख्वाह सिर्फ़ 3000 रूपये ही मिलते थे. इससे गुज़ारा हो पाना मुश्किल था.

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राम करण जहां होमगार्ड की नौकरी करते थे, वहां किसी ने उन्हें बहुत पहले अनार लगाने का सुझाव दिया था. संतोष को यह बात याद आई और उन्होंने इस सुझाव पर अमल करने का फ़ैसला किया. सबसे पहले संतोष देवी ने 220 अनार के पौध खरीदे और उन्हें अपने खेत में लगाया. इसकी सिचाई के लिए संतोष देवी ने ड्रिप प्रणाली का प्रयोग किया. इससे साल 2011 में उन्हें 3 लाख रूपये का मुनाफा हुआ.

खेदड़ परिवार की सफ़लता को देखते हुए, आस-पास के किसान भी बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने भी अनार लगाना चाहा. पर ज़्यादातर किसानों को इसमें सफ़लता न मिलने से, वे संतोष देवी के पास मदद मांगने आते. संतोष देवी उन्हें अपने अनुभवों से सीखे हुए सारे उपाय भी बताती, इस तरह 2013 में ‘शेखावाती कृषि फार्म एवं नर्सरी उद्यान रीसर्च सेंटर’की शुरुआत हुई. संतोष देवी ने बताया कि इस साल उन्होंने करीब 15000 पौध बेचे हैं, जिससे उन्हें 10-15 लाख की अतिरिक्त आय हुई है.

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