नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने प्राइवेट ट्रैवल कंपनी ‘मेक मॉय ट्रिप’ के खिलाफ एक वकील द्वारा लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है. वकील ने कंपनी और उसके डायरेक्टर के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. दावा किया गया कि कंपनी ने उसके नैनीताल में रुकने के दौरान 7,950 रुपये प्रति दिन के हिसाब से होटल रूम का किराया लिया था. वहीं, होटल में ठहरे अन्य गेस्ट उसी रूम के महज दो से तीन हजार रुपये दे रहे थे.
याचिकाकर्ता का कहना था कि आठ हजार प्रति दिन के हिसाब से देने के बावजूद उन्हें दिया गया रूम बेहद खराब व्यवस्था में था. वो किसी स्टोर रूम से कम नहीं लग रहा था. कहा गया कि होटल ने उनके द्वारा क्लेम किए गए रूम को नहीं देने पर दी गई राशि रिफंड करने से मना कर दिया था. उन्होंने तीन दिन रुकने के हिसाब से 23,850 रुपये लौटाने की मांग की थी.
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मजिस्ट्रेट अदालत से हाथ लगी थी निराशा
इससे पहले उक्त वकील ने मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष यह याचिका लगाई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. निचली अदालत का कहना था कि शिकायतकर्ता आरोपी कंपनी द्वारा गलत बयानी के अपने दावों की पुष्टि के लिए कोई भी सहायक दस्तावेज या सबूत उपलब्ध कराने में विफल रहा. रूम में बालकनी नहीं होने की बात याचिकाकर्ता ने कही थी लेकिन उन्हें ऐसा कोई वादा डॉक्यूमेंट्स में नहीं किया गया था.
सेशन कोर्ट क्यों नहीं गए वकील
दिल्ली कोर्ट में सरकारी वकील अमित साहनी ने तर्क दिया कि मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आवेदन को सही ढंग से खारिज कर दिया था. इसमें हाई कोर्ट के हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं था. साथ ही याचिकाकर्ता को सेशन कोर्ट के समक्ष जाना चाहिए थे लेकिन वो सीधे हाई कोर्ट में आए हैं.
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पहले प्रकाशित : 17 जुलाई, 2023, 23:59 IST
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