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एम्‍स दिल्‍ली में खुली स्किन बैंक, कौन कर सकता है त्‍वचा दान, किसको होगा फायदा? जानें

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एम्स में स्किन बैंक: ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज दिल्‍ली के बर्न्स एंड प्‍लास्टिक सर्जरी ब्‍लॉक में आज स्किन बैंक का उद्धाटन किया गया है. इसका बड़ा फायदा जले हुए मरीजों को मिलने जा रहा है. तकनीकी रूप से उन्‍नत मशीनों वाली यह बैंक गंभीर रूप से जले हुए रोगियों के जीवन को बचाने और बर्न सर्जनों को गंभीर केसों में बड़ी मदद देगी. इस मौके पर एम्‍स के निदेशक प्रो. एम श्रीनिवास ने स्किन बैंक मैनुअल को रिलीज करने के साथ ही कहा कि एम्स अंतरराष्ट्रीय मानकों की बर्न केयर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस सुविधा के साथ, एम्स विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बर्न सेंटरों की बराबरी करने जा रहा है.

विभाग के प्रमुख प्रोफेसर मनीष सिंघल ने बताया कि एम्‍स में खोली गई त्वचा बैंक मृत त्वचा को प्रोसेस करने के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है, जैसे वॉक-इन रेफ्रिजरेटर, डर्माटोम्स, इनक्यूबेटर, शेकर और लैमिनर फ्लो के साथ जैव सुरक्षा कैबिनेट आदि. इतना ही नहीं रोटरी इंटरनेशनल से जुड़े अशोक कंटूर और अनिल अग्रवाल ने भरोसा दिलाया है कि वे एम्‍स दिल्‍ली के साथ जुड़कर क्षेत्र में स्किन डोनेशन के लिए प्रोत्‍साहित करेंगे.

वहीं प्लास्टिक, रिकंस्ट्रक्टिव और बर्न्स सर्जरी की सहायक प्रोफेसर डॉ. शिवांगी साहा कहती हैं कि बेहतर इलाज और कोशिशों के बावजूद देखा गया है कि 60 फीसदी से अधिक टीबीएसए बर्न वाले मरीज अक्सर संक्रमण के कारण दम तोड़ देते हैं लेकिन अब ढकने के लिए शव की खाल का उपयोग करने से कई रोगियों को बचाने में मदद मिलेगी.

कौन कर सकता है स्किन दान?
बता दें कि 18 साल से ऊपर का कोई भी व्‍यक्ति मृत्‍यु के 6 घंटे के अंदर अपनी त्‍वचा दान कर सकता है. सिर्फ वे लोग जो एचआईवी, हेपेटाइटिस बी-सी या एसटीडी, किसी संक्रमण, सेप्‍टीसीमिया, किसी त्‍वचा संक्रमण, स्किन कैंसर या अन्‍य प्रकार की ऐसी बीमारी से पीड़‍ित हैं वे त्‍वचा दान नहीं कर सकते हैं.

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इन जगहों से ली जाती है त्‍वचा
बता दें कि किसी भी मृत व्‍यक्ति की त्‍वचा पीठ, जांघ और पैरों से ली जाती है. जब भी त्‍वचा काटी जाती है तो उससे कोई खून नहीं निकलता. साथ ही परिजनों को शव देने से पहले उन हिस्‍सों को पट्टियों के सहारे अच्‍छे से कवर किया जाता है.

एक डोनेशन से कितने मरीजों को फायदा?
आमतौर पर औसत रूप से निर्मित व्यक्तियों में, 3000 वर्ग सेमी तक त्वचा काटी जा सकती है. ऐसे में 30 प्रतिशत टीबीएसए कच्चे क्षेत्र के लिए लगभग 1000 से 1500 वर्ग सेमी ग्राफ्ट की जरूरत पड़ेगी. इस प्रकार, एक व्‍यक्ति के त्‍वचा दान से कम से कम एक जले हुए पीड़ित और एक से अधिक जले हुए बच्‍चों की जान बचाई जा सकती है.

टैग: एम्स, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली, एम्स निदेशक, त्वचा की देखभाल

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