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बच्चों में अचानक दौरे का कारण बन सकती है इस मिनिरल्स की कमी, इन 5 संकेतों को जान भागे डॉक्टर के पास, वरना होगी दिक्कत

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हाइलाइट्स

अगर बच्चों में कैल्शियम की बहुत ज्यादा कमी हो जाए तो कभी-कभी अचानक दौरा पड़ सकता है.
अगर बच्चों के दांत बहुत कमजोर मालूम पड़े तो यह हाइपोकैल्शिमिया हो सकता है.

बच्चों में दौरे: नवजात बच्चों का ख्याल रखने के लिए बेहद सतर्कता बरतनी पड़ती है. जब कोई बच्चा मां के गर्भ से बाहर आता है, तो उसके लिए सब कुछ अचानक और नया होता है. इस समय बाहर की दुनिया से लड़ने के लिए इम्यूनिटी का विकास भी अच्छा से नहीं होता है. इसलिए एक साल तक बच्चों का बेहद सतर्कता के साथ ख्याल रखना पड़ता है. चूंकि बच्चे को अगर कोई तकलीफ हो तो वह बोलता नहीं, इसलिए बच्चों की तकलीफ को समझना बहुत जरूरी है. आमतौर पर एक साल तक का बच्चा मां का दूध पीता है. मां के दूध में कैल्शियम की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए लोग कभी सोचते भी नहीं कि बच्चे को कैल्शियम की कमी हो सकती है. यदि आप भी ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं. कुछ अन्य कारणों से भी बच्चों के शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है और इस कारण अचानक एक दिन बच्चे को दौरे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. बच्चों में कैल्शियम की कमी को हाइपोकैल्शिमिया कहते हैं.

क्यों होता है हाइपोकैल्शिमिया
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक बच्चों में हाइपोकैल्शिमिया तब होता है जब बच्चों में विटामिन डी की कमी हो जाती है. विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूरज की रोशनी है. कुछ फूड में भी विटामिन डी पाया जाता है लेकिन नवजात बच्चे कोई फूड नहीं खाता, इसलिए बच्चे विटामिन डी के लिए पूरी तरह सूरज की रोशनी पर ही निर्भर रहते है. हालांकि शहरी वातावरण में लोग छोटे-छोटे घरों में पैक रहते हैं जिस कारण बच्चों को सूरज की रोशनी नहीं लगती है. इस कारण बच्चों को विटामिन डी की कमी हो जाती है. जब विटामिन डी की कमी हो जाती है तो मां के दूध से जो कैल्शियम बनता है, वह ज्यादा रूक नहीं पाता है. रिपोर्ट के मुताबिक यदि बच्चों के शरीर में पर्याप्त विटामिन डी न हो तो डाइट्री फूड से प्राप्त कैल्शियम का 10 से 15 प्रतिशत ही शरीर में अवशोषण हो पाता है. बाकी शरीर से बाहर निकल जाता है. इसलिए बच्चों को समय-समय पर धूप में ले जाना जरूरी होता है. यदि बच्चों में हाइपोकैल्शिमिया हो जाए तो उसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं जिसे मात-पिता आसानी से पहचान सकते हैं. आइए जानते हैं कि इसके क्या-क्या लक्षण है.

हाइपोकैल्शिमिया के लक्षण

1.शरीर का विकास कम-यदि बच्चों में हाइपोकैल्शिमिया हो जाए तो बच्चों का विकास कम हो जाता है. खासकर हाईट नहीं बढ़ पाती है. यदि ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं.

2.ड्राई हेयर-
यदि बच्चों के बाल बहुत ड्राई हो तो ये हाइपोकैल्शिमिया के लक्षण हो सकते हैं.

3.नाखून का टूटना-
हाइपोकैल्शिमिया के कारण बच्चों के नाखून तुरंत-तुरंत टूटने लगते हैं.

4.मसल्स क्रैंप-
हाइपोकैल्शिमिया के कारण बच्चों के मसल्स में क्रैंप आ सकता है. हालांकि मामूली क्रैप होने पर पता लगाना मुश्किल है लेकिन बच्चा अगर ज्यादा रोएं तो ऐसा हो सकता है. क्रैंप कभी-कभी अचानक और बहुत तेज होने लगता है. इसमें बच्चे का पूरा शरीर अकड़ने लगता है. इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.

5.झनझनाहट
-हाइपोकैल्शिमिया के कारण बच्चों के हाथ-पैर की ऊंगलियों में झनझनाहट होती रहती है. इसे मां आसानी से भांप सकती हैं. इस स्थिति में ऊंगलियों के कुछ हिस्सों में हार्डनेस आ जाती है.

6. दांतों में कमजोरी
-अगर बच्चों के दांत बहुत कमजोर मालूम पड़े तो यह हाइपोकैल्शिमिया हो सकता है.

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7.अचानक दौरा पड़ना-अगर बच्चों में कैल्शियम की बहुत ज्यादा कमी हो जाए तो कभी-कभी अचानक दौरा पड़ सकता है. यह मिर्गी की तरह होती है. इसमें बच्चे का पूरा शरीर हार्ड हो जाता है.

इलाज और बचाव
अगर बच्चों में उपर बताए गए लक्षण दिखने लगे तो बच्चों को सुबह धूप में बाहर जरूर ले जाएं. इसके साथ ही अगर लक्षण बहुत ज्यादा परेशान करने लगे तो डॉक्टर के पास ले जाएं. डॉक्टर खून जांच के बाद यह पता लगाएगा कि बच्चों को कैल्शियम की कमी है या अन्य किसी बीमारी की वजह से ऐसा हो रहा है. इसके बाद विटामिन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट देकर बच्चों को ठीक किया जाता है. इसे ज्यादा समय तक नजरअंदाज न करें. अगर इसे नजरअंदाज करेंगे तो बच्चे का विकास रूक जाएगा और हड्डियां बहुत कमजोर हो जाएगी.

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