रिपोर्ट:-अंजलि सिंह राजपूत,लखनऊ

रंगमंच को फ़िल्म जगत में पहचान बनाने और अभिनय की पहली सीढ़ी माना जाता है.जी हां आज बॉलीवुड में काम कर रहे कई बड़े अभिनेता और अभिनेत्रियों ने शुरुआत अपने करियर की रंगमंच से ही की थी.आज उनकी अलग पहचान है.ठीक उसी प्रकार लखनऊ में चबूतरा थिएटर पाठशाला एक ऐसा मंच हैं जो बाल रंगमंच को संवार रहा है.यह पाठशाला मदर सेवा संस्थान के अंतर्गत आता है,इसमें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को एक मंच प्रदान किया जा रहा है. उनको अभिनय की बारीकियां सिखाने के साथ उनको बॉलीवुड में मौका दिलाया जाता है.जहां पर पहुंचकर ये नन्हें कलाकार अपने हुनर की छाप छोड़ रहे हैं और एक अलग ही पहचान बना रहे हैं. वर्तमान में चबूतरा पाठशाला में करीब 25 बच्चे हैं.इसके अलावा अलग-अलग ब्रांच पर भी बच्चों की संख्या ठीक-ठाक है. यह सभी बच्चे गांव के पिछड़े और वंचित वर्ग से आते हैं,जिन्हें मंच प्रदान करके पाठशाला उनके करियर को संवार रही है.इस पाठशाला के कलाकार बॉलीवुड के कई बड़े अभिनेता और अभिनेत्रियों के साथ उनकी फिल्मों में काम कर चुके हैं और वहां से मिलने वाले पैसों से बच्चे अपना घर भी चलाते हैं.

हुनर को मंच प्रदान करता हूं

मदर सेवा संस्थान के सचिव महेश चंद देवा ने बताया कि वह पिछले 18 सालों से चबूतरा पाठशाला को चला रहे हैं और इस पाठशाला में वह गांव के वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को मंच दे कर उनको ट्रेनिंग देते हैं.उन्हें अभिनय की बारीकियां सिखाते हैं.सभी ऐसे बच्चे हैं जिनके पास हुनर तो बहुत होता है लेकिन उन्हें मंच नहीं मिल पाता और मार्गदर्शन नहीं मिल पाता.उन्होंने बताया कि आज चबूतरा थिएटर पाठशाला के बच्चे रेडियो,टेलीविजन,एडवरटाइजिंग एजेंसी,शॉर्ट फिल्म्स,डॉक्यूमेंट्री फिल्म्स के साथ ही बॉलीवुड की बड़ी फिल्मों में बड़े अभिनेताओं के साथ काम कर रहे हैं.

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पहले प्रकाशित : 10 जून, 2022, 00:08 पूर्वाह्न IST

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