तमिल फिल्मों में व्यक्ति पूजा ही जीवन का यथार्थ है खासकर यदि वो फिल्म के अभिनेता हों. तमिल फिल्मों के सुपर स्टार सूर्या के साथ कई बार ऐसा ही होता है. उनकी फिल्म ‘जय भीम’ एक ऐसे विषय पर बनी शक्तिशाली फिल्म थी कि उसे ऑस्कर में भेजा गया था और इस फिल्म में गरीब आदिवासियों की लड़ाई लड़ने वाले एक वकील की भूमिका में सूर्या ने अद्भुत अभिनय किया था. इसके ठीक बाद उनकी अगली फिल्म ईटी यानि एथरक्कुम थुनिन्धवन हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ की गयी. जय भीम से बंधी आशा, इस फिल्म में पूरी तरह टूट जाती है क्योंकि यह फिल्म एक मसाला एंटरटेनर है जिसमें नाच गाने के अलावा एक्शन, विलन, इमोशन और लव स्टोरी, रोमांस सब कुछ डाला गया है. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा चुकी है और पहले 5 दिनों में 100 करोड़ और 21 दिन में 200 करोड़ कमा चुकी है. फिल्म में सूर्या का स्टार पावर तो है लेकिन कहानी में कोई खास मज़ा नहीं है और कई जगह ये फिल्म अति-नाटकीयता का शिकार भी हुई है. सूर्या के फैंस इस फिल्म को बेहद पसंद करेंगे लेकिन सूर्या की अभिनय क्षमता तो देखें तो ये फिल्म सूर्या के बजाय किसी और अभिनेता के साथ भी ऐसी ही बनती.
फिल्म की कहानी एकदम विचित्र सी लगती है. शुरुआत में दो गांवों की मित्रता को शत्रुता में बदलते दिखाया गया है और इसके बावजूद सूर्या दूसरे गाँव में नाच गाने का प्रोग्राम देखने जाते हैं. सूर्या पेशे से वकील है, लेकिन फिल्म के हीरो हैं तो मुश्किल में पड़ी लड़कियों की गाडी का लॉक ठीक करना, लड़कियों के फ़ोन पर इमरजेंसी एप्स इनस्टॉल करना, प्रताड़ित लोगों की कानूनी मदद करना और फिर मुरुगप्पा भगवान् के जन्मोत्सव पर हीरोइन के गांव जा कर भरे मंडप में चतुराई से मंगलसूत्र पहनाने जैसे साहसिक काम भी करते हैं. शत्रु गांव में हीरोइन की सहेली, एक भ्रष्ट ठेकेदार के चमचे से प्यार करती है जो उसे किसी मंत्री के साथ सोने के लिए मजबूर करता है. हीरोइन की सहेली वहां से भाग जाती है, गुंडे उसके पीछे पड़ जाते हैं और हीरो उसे बचा लेता है. जब हीरो को साज़िश का पता चलता है तो वो उस ठेकेदार को खत्म करने की धमकी दे देता है और दोनों के बीच जंग का एलान हो जाता है. काफी सारी घटनाओं और दुर्घटनाओं के बाद हीरो उस ठेकेदार को सबक सिखाता है और उसके सभी चमचों के माँ-बाप के सामने उन सभी की पोल खोल देता है. ठेकेदार का ससुर ठेकेदार को गोली मार देता है क्योंकि उसकी बेटी को भी ठेकेदार ने ही मारा होता है. सब कुछ अच्छा अच्छा होता है और हीरो जीत जाता है.
गांवों की आपसी लड़ाई की कहानी देख कर लगा था कि शेकस्पीयर की रोमियो एन्ड जूलिएट का तमिल वर्शन देखने को मिलेगा. एक गाँव का हीरो और शत्रु गांव की हीरोइन देख कर तो और कन्फर्म हो गया था लेकिन कहानी कहीं और ही चली गयी. मॉडर्न बनाने के चक्कर में इमरजेंसी एप, एमएमएस, यूट्यूब वीडियो और एक बेहतरीन स्टेट ऑफ़ द आर्ट टेक्नोलॉजी सेंटर सब कुछ डाला गया और हीरो को इन सब से लड़ते हुए भी दिखाया गया. फ्लैशबैक में हीरो की छोटी बहन के अगवा करने और उसका बलात्कार करने की कहानी भी डाली गयी. ऐसी खिचड़ी बनाई गयी कि कहानी में क्या महत्वपूर्ण है वो कहीं छुप ही गया. सूर्या कमर्शियल फिल्में करते हैं लेकिन उनकी फिल्में ऐसी विचित्र कहानी वाली कम ही होंगी. इसके पहले उनकी ‘जय भीम’ रिलीज हुई थी, जिसकी कहानी-पटकथा-संवाद, तीनों की कमाल के थे और सूर्या का किरदार वकील के तौर पर विश्वसनीय भी था. एथरक्कुम थुनिन्धवन एक मसाला फिल्म होने के चक्कर में सूर्या के वकील होने को ठीक से भुना नहीं पायी. हालाँकि इन सब बातों से फिल्म पर कोई असर नहीं पड़ा है और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अलग ही धमाल मचा रखा है और नेटफ्लिक्स पर भी भारत की टॉप 10 फिल्मों में नज़र आ रही है.
अभिनय का मामला थोड़ा बेहतर है. सूर्या को मसाला एंटरटेनर के रूप में देख कर भी उतना ही मज़ा आता है जितना उनकी अन्य फिल्मों में. हीरोइन हैं प्रियंका अरुल मोहन. डॉक्टर के बाद ये उनकी दूसरी तमिल फिल्म है. करियर बहुत बड़ा नहीं हैं लेकिन वे सुन्दर हैं और प्रतिभाशाली हैं. बाहुबली में कटप्पा का किरदार निभा कर अमर हो गए सत्यराज इस फिल्म में सूर्या के पिता बने हैं. रोल इतना बड़ा नहीं है लेकिन उनकी कॉमिक टाइमिंग अच्छी है. रग्बी के खिलाडी विनय राय, मॉडलिंग से फिल्मों में आये हैं और उनकी जबरदस्त पर्सनालिटी में विलन के तौर पर बहुत जंचते हैं. प्रियंका के साथ विनय भी डॉक्टर फिल्म में थे और उसमें भी खतरनाक विलन की भूमिका निभाई थी. बाकी कलाकारों ने भी अपनी अपनी भूमिका ठीक से निभाई है. तमिल फिल्मों की तरह इस में भी एक्शन ज़बरदस्त है. जुड़वां भाई अंबुमणि और अरिवुमणि ने कई बेहतरीन फिल्मों का एक्शन कोरियोग्राफ किया है जैसे केजीएफ, डॉक्टर, सरपट्टा परम्बराई, जय भीम और जल्द रिलीज होने वाली फिल्म बीस्ट. दोनों मिल कर कमाल का काम करते हैं और एक के बाद एक हिट फिल्म दिए जा रहे हैं. निर्देशक पांडीराज ने 2019 के पोल्लाची केस को आधार बना कर इस फिल्म की कहानी और पटकथा लिखी है, बस डायलॉग में उतना वजन नहीं ला पाए हैं.
संगीत डी इम्मान का है जो पांडीराज के साथ दूसरी लेकिन सूर्या के साथ पहली फिल्म कर रहे हैं. फिल्म के गाने जबरदस्त हिट हैं. संगीतकार जीवी प्रकाशकुमार और अनिरुद्ध (कोलावेरी) ने वल्ला थम्बी नाम के गाने को स्वर दिए हैं और ये गाना फिल्म रिलीज होने से पहले ही हिट हो चुका था. एमसी रुड का गाय रैप एथरक्कुम थुनिन्धवन भी बहुत पसंद किया गया. आर रत्नावेलु (रोबोट, रंगस्थलम) की सिनेमाटोग्राफी फिल्म की मांग के हिसाब से थी लेकिन अन्थोनी रुबेन (बिगिल, पुष्प) की एडिटिंग कहानी को जोड़ कर नहीं रख पायी। फिल्म के दूसरे हिस्से में सीन्स में कोई जुड़ाव महसूस नहीं हुआ और बस अलग अलग घटनाओं की एक रेल देखने को मिली. आम तौर पर क्लाइमेक्स में कहानी के सभी सूत्र मिलते हैं और विलन की हार होती है, एडिटिंग की वजह से हर बार वो भावना उमड़ते उमड़ते रुक सी गयी. फिल्म एक मसालेदार फिल्म है. बॉक्स ऑफिस पर हिट है. सूर्या के फैंस तो फिल्म देखेंगे ही, अगर डब फिल्म देखने का शौक़ रखते हैं तो ये फिल्म देख सकते हैं, हालाँकि इसमें याद रखने लायक बातें गिनी चुनी ही हैं.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
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पहले प्रकाशित : 15 अप्रैल, 2022, 11:06 पूर्वाह्न IST